पक्का चेक डैम : किसानों के लिए जल स्रोत का वरदान
बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है। बिहार के विकास की बुनियाद कृषि के विकास पर आधारित है, और कृषि के विकास में भूमि और जल संरक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका है।दक्षिण बिहार के वर्षा आश्रित जिलों में मुख्य तौर पर किसान सिंचाई के लिए कुओं तथा भूमिगत जल या मानसून पर निर्भर रहते हैं। वर्षा सिंचित क्षेत्रों में जल की कमी, भू जल स्तर में तेजी से गिरावट तथा कमजोर परिस्थितकी प्रणालियों, निम्न स्तर के फसलोत्पादन तथा भूमि अवक्रमण की गंभीरता का अपेक्षाकृत अधिक प्रभाव दिखाई देता है। इन क्षेत्रों में उच्च तापमान के कारण वास्पीकरण भी बहुत अधिक होता है। लिहाजा खेती करने के लिए जल की पर्याप्त मात्र में आपूर्ति नहीं हो पाती है, तो इसके उपाय में कृत्रिम सिंचाई ही एकलौता मार्ग बचता है जिसके कारण भू जल का दोहन होता है । जल संरक्षण के महत्व को समझने, वर्षा जल का संचयन,भूमि एवं जल को उसी स्थान पर संरक्षित करने की दिशा में सरकार द्वारा कई कार्यक्रम चलाये जा रहे है । इसी दिशा में सरकार ने आत्मनिर्भर बिहार के लिए सात निश्चय-2 अंतर्गत निश्चय- 3 के रूप में खेत को पानी उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है। हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुचने के उदेश्य से सात निश्चय-2 अंतर्गत भूमि संरक्षण निदेशालयए कृषि विभाग द्वारा 30 फीट से कम की चौड़ाई का कुल 1480 पक्का चेक डैम बनाने की स्वीकृति मिली है। इसके अन्तर्गत आगामी पांच वर्षों में दक्षिणी बिहार के कुल 18 जिलों (अरवल, औरंगाबाद, बक्सर, भोजपुर, बेगूसराय, पटना, गया, नवादा, नालंदा, लखीसराय, बांका, जमुई, भागलपुर, कैमूर, रोहतास, शेखपुरा, मुंगेर, और जहानाबाद) में यह योजना कार्यान्वित की जा रही है। पक्का चेक डैम के निर्माण से वर्षा जल संचय के साथ-साथ भू-गर्भ जल स्तर में वृद्धि होती है तथा परंपरागत सिंचाई क्षमता की पुर्नजीवित करने में मदद मिलती है। पक्का चेक डैम की योजनाओं के स्थल चयन हेतु पूरे राज्य में प्लौटवार plotwar plotaawrplotwar सर्वेक्षण कराया गया है। सर्वेक्षण पाँच विभागों ;जल संसाधन विभागए लघु जल संसाधन विभाग, कृषि विभागए ऊर्जा विभाग एवं पंचायती राज विभागद्ध के संयुक्त दल द्वारा किया गया। सही स्तर से सर्वेक्षण कराने हेतु जिला स्तरीय संयुक्त तकनीकी सर्वेक्षण दल तथा प्रखंड स्तरीय संयुक्त तकनीकी सर्वेक्षण दलों द्वारा तकनीकी सर्वेक्षण किया गया है। प्रखंड स्तरीय तकनीकी सर्वेक्षण दल ने प्रत्येक गांवोंए टोलों का भ्रमण कर स्थानीय ग्रामीणों ध् किसानों के साथ बैठकर सिंचित ध् असिंचित क्षेत्र एवं उपलब्ध जल स्त्रोत तथा असिंचित क्षेत्र के लिए संभावित सिंचाई योजनाओं के संबंध में सुझाव प्राप्त किया गया। संभावित सिंचाई योजना का चयन करते हुए उसके जलस्त्रोत एवं कमांड क्षेत्र को ; ग्रामीण नक्शे पर चिन्हित द्ध किया गया। सर्वे के द्वारा 30 फीट की कुल 2113 चेक डैम की पहचान की गयीए तत्पश्चात् भूमि संरक्षण निदेशालय के पदाधिकारियों योजना स्थल की तकनीकी नियुक्तता की नियमित जाँच की गयी जिसके भौतिक सत्यापन के बाद कुल 1480 पक्का चेक डैम के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिसपर 12316.30 लाख रूपये की स्वीकृति प्राप्त की गयी है। इन चेक डैम का निर्माण पाँच वर्षों में निम्न रूप से किया जाना है: वित्तीय वर्ष 2021-22 में कुल 2987.10 की लागत से कुल 361 पक्का चेक डैम का निर्माण कार्य समाप्ति में अग्रसर है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में भी कुल 2832.50 की लागत से कुल 341 पक्का चेक डैम का निर्माण प्रगति में है। भूमि संरक्षण द्वारा विगत वर्षों में विभिन्न योजनाओं अंतर्गत कुल 1578 पक्का चेक डैम का निर्माण किया गया है। जिससे कुल 7890 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा का सृजन किया गया है। चेकडैम वह संरचना है जिसे किसी भी झरने या नाले या छोटी नदी के जल प्रवाह की उल्टी दिशा में खड़ा किया जाता है। इसका प्रमुख उदेश्य बारिश के अतिरिक्त जल को बांधना होता है। यह पानी बरसात के दौरान और उसके बाद भी इस्तेमोल हो सकता है और इससे भूजल का स्तर बढ़ता है। इससे लगभग 4 फीट तक की गहराई में जल को रोक कर सिंचाई के लिए जल उपलब्ध होता है एवं साथ ही साथ भूजल का रिचार्ज होता है। यह जल स्त्रोत किसानों को सिंचाई करने में बेहद मददगार होंगे ।